चंपावत जिले के 99 तोकों की रात अंधेरे में कटेगी या जगमग रहेगी, यह बरसात और जाड़ों में पता नहीं रहता। यहां कई तोक ऐसे हैं, दिन में बादल होने से रात को सौर ऊर्जा काम नहीं करती। ऐसे में ग्रामीणों की रात अंधेरे में कटती है।

कागजों में चंपावत जिला पूरी तरह विद्युतीकृत है। तकनीकी तौर पर यह ठीक भी है लेकिन जिले के दो हजार से अधिक तोकों में से 99 तोकों में ग्रिड की बिजली नहीं है बादल। विषम भौगोलिक हालात वाले ये तोक नदी और घने जंगल के ईदगिर्द हैं। पिनाना, सीम, खेत, चूका, गंगसीर, मऊ, पितवा, पोथ, लुवाकोट, हल्दुआ, निकाली, खिरद्वारी, धूना, पिनाना, कलसुनिया, गोली, सिलाड़, हेलागोठ, थपलियालखेड़ा सहित 99 तोकों को दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत सौर ऊर्जा के जरिये विद्युतीकृत किया गया है बादल इसके अंतर्गत यहां के 852 घरों को 300-300 वाट क्षमता की सौर ऊर्जा से जोड़ा गया है लेकिन धूप की कमी से चार्जिंग की दिक्कत हो रही है। साथ ही कई घरों में सोलर पैनल भी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत मोबाइल चार्जिंग की रहती है।

मुख्य रूप से ये हो रही हैं दिक्कतें

घरों में बच्चों की पढ़ाई पर असर, स्कूलों में कंप्यूटर पढ़ाई नहीं, मोबाइल चार्जिंग में अक्सर परेशानी, सौर प्लेट में खामी, धूप नहीं होने से सौर प्लेट का चार्ज नहीं होना।

चंपावत खंड के हर तोक में लाइन बिछाना संभव नहीं है। इसकी मुख्य वजह घने जंगल, बहुत ज्यादा दूरी या तकनीकी तौर पर लाइन बिछाने में आने वाली दिक्कतें हैं। यहां के 99 तोकों को सौर ऊर्जा से जोड़ा गया है। सौर ऊर्जा में किसी भी तरह की खराबी को पांच साल तक दूर करने का जिम्मा भी ठेकेदार का है। – एसके गुप्ता, ईई, ऊर्जा निगम, चंपावत खंड।

हाईकोर्ट के अधिवक्ता ने मंडलायुक्त के सम्मुख उठाया था मामला

चंपावत। जिले के नेपाल सीमा से लगे पिनाना, तलाड़ी, दियूकुणा क्षेत्र में सौर ऊर्जा के बावजूद हो रही दिक्कतों से ग्रामीण परेशान हैं। ग्रामीणों ने उच्च न्यायालय के अधिवक्ता प्रेम प्रकाश भट्ट के नेतृत्व में इस समस्या को मंडलायुक्त के सम्मुख उठाते हुए ग्रिड से विद्युतीकृत करने का आग्रह किया है बादल भट्ट ने कहा कि 17 परिवारों को सौर ऊर्जा से जोड़ा तो गया लेकिन इसका बरसातों और जाड़ों में खास लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं ऊर्जा निगम का कहना है कि इस क्षेत्र में पांच किलोमीटर की बिजली लाइन का निर्माण किया जाना है। इसमें साढ़े तीन किमी वन भूमि आने से ग्रिड से विद्युतीकरण संभव नहीं हो रहा है।