जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी लड़ाई में, गैर-अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर भारत की निर्भरता को कम करने के लिए, मंगलवार को 2022-23 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई उपायों का ऐलान किया.

इनमें सोलर फोटोवोल्टेक पैनलों के बढ़े हुए घरेलू उत्पादन के लिए आवंटन, कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट्स में बायोमास पैलेट्स का इस्तेमाल, शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक यातायात के अधिक इस्तेमाल और बिजली-चालित वाहनों की ओर शिफ्ट को बढ़ावा और ऐसी परियोजनाओं वित्त-पोषित करने के लिए ‘ग्रीन बॉन्ड्स’ शामिल हैं, जिनका पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता हो.

पर्यावरण मंत्रालय के बजट आवंटन में इज़ाफा देखा गया जिसके लिए 3,030 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया, जो 2021-2022 के केंद्रीय बजट में 2,869.93 करोड़ रुपए था. पिछले साल (2020-2021) केंद्र ने मंत्रालय का बजट 3,100 करोड़ रुपए से कम कर दिया था.

वित्त मंत्री ने मंगलवार को ऐलान किया कि मोदी सरकार उच्च-कार्यक्षमता वाले मॉड्यूल्स के लिए, उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) के तौर पर 19,500 करोड़ रुपए का आवंटन करेगी जिसमें पॉलीसिलिकॉन से लेकर सोलर फोटोवोलटेक (पीवी) मॉड्यूल्स तक, पूरी तरह से एकीकृत निर्माण इकाइयों पर ज़ोर दिया जाएगा’.

पॉलीसिलिकॉन सोलर पीवी पैनल्स के निर्माण में एक आवश्यक हिस्सा होता है. भारत के सोलर पावर सेक्टर की, सोलर पैनल के हिस्सों के आयात पर भारी निर्भरता है. सीतारमण ने कहा कि घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने से, ‘2030 तक स्थापित सोलर क्षमता को 280 गीगावॉट तक ले जाने के, भारत के महत्वाकाक्षी लक्ष्य को सुविधाजनक बनाया जा सकता है.

पिछले साल के संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन-सीओपी 26 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकल्प लिया था कि भारत की ग़ैर-फॉसिल ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावॉट्स तक बढ़ाया जाएगा और भारत की 50 प्रतिशत ऊर्जा ज़रूरतें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरी की जाएंगी. इनमें सबसे बड़ा हिस्सा सौर ऊर्जा का है और अन्य स्रोत हैं पवन और जल ऊर्जा.

भारत ने ये भी संकल्प लिया कि 2030 तक, कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कमी कर दी जाएगी.

मंगलवार को अपने भाषण के दौरान, सीतारमण ने जलवायु परिवर्तन को ‘सबसे मज़बूत नकारात्मक बाहरी बताया जो भारत और दूसरे देशों को प्रभावित करता है.’ सीतारमण ने आगे कहा कि कार्बन उत्सर्जन को घटाने के लिए, थर्मल पावर प्लांट्स में पांच से सात प्रतिशत बायोमास पैलेट्स साथ साथ फायर की जाएंगी.

अपने भाषण में उन्होंने कहा कि इसके नतीजे में हर एक साल में 38 मीट्रिक टन कार्बन डायोक्साइड की बचत होगी.

उन्होंने कोयले के गैसीकरण और उसे ‘उद्योग के लिए ज़रूरी रसायनों’ में बदलने के लिए चार पायलट परियोजनाएं भी शुरू कीं जिनसे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और साथ ही कृषि वानिकी और ‘निजी वानिकी’ को भी बढ़ावा मिलेगा.

वर्ल्ड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट (डब्लूआरआई) इंडिया की जलवायु निदेशक उल्का केलकर ने एक बयान में कहा, ‘क्लाइमेट एक्शन को एक नवोदित उद्योग और रोजगार पैदा करने वाला बताते हुए, बजट 2022 ने बाज़ारों, वित्तीय संस्थाओं और श्रम बल को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘अब हमें सरकारी प्रोत्साहन, एकत्रीकरण और स्वच्छ ऊर्जा के लिए डी-रिस्किंग की ताक़त चाहिए जिसे कम कार्बन वाली सामग्री, बैटरी री-साइक्लिंग की कुशलता और ग्रीन इनफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए परामर्शी प्रक्रियाओं से पूरित करना होगा.