राज्य में सर्वाधिक भर्तियां करने वाले राजस्थान लोक सेवा आयोग ने अब तक सौर ऊर्जा की उपयोगिता नहीं समझी है। प्रतिमाह हजारों रुपए का बिजली का बिल चुकाया जा रहा है। इसके बावजूद यहां सौर पैनल लगाने और ऊर्जा का वैकल्पिक स्त्रोत तैयार करने की कवायद नहीं हुई है।
केंद्र और प्रदेश सरकार ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोत के रूप में सौर ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है। कई सरकारी और निजी दफ्तरों, स्कूल-कॉलेज, विश्वविद्यालयों, स्ट्रीट लाइट सहित किसानों ने खेतों में सौर पैनल लगाए हैं। इससे उनकी विद्युत ऊर्जा खपत कम हुई है। साथ ही डिस्कॉम ग्रिड को बिजली बेचने से संस्थाओं-कार्यालयों को आर्थिक लाभ हो रहा है। राजस्थान लोक सेवा आयोग काफी पीछे है।
डिस्कॉम की बिजली पर निर्भर
आयोग अब तक अजमेर डिस्कॉम की बिजली पर ही निर्भर है। यहां परीक्षा, संस्थापन, पुस्तकालय, डाक-संप्रेषण और अन्य विभाग-अनुभाग डिस्कॉम की बिजली से रोशन हैं। इसकी एवज में आयोग को प्रतिमाह लाखों रुपए का बिल चुकाना पड़ रहा है। जबकि आयोग में भर्तियां, साक्षात्कार, परीक्षात्मक और परिणाम निकालने का कामकाज दिन-रात चलता है।
सौर ऊर्जा से नहीं सरोकार
जयपुर रोड स्थित आयोग का मौजूदा भवन साल 2000-01 में बना था। तबसे सौर ऊर्जा का उपयोग करने के लिए छतों पर पैनल नहीं लगवाए हैं। जबकि सौर ऊर्जा उत्पादन और उसके इस्तेमाल से बिजली के बिल में काफी बचत हो सकती है। साथ ही सौर ऊर्जा प्लान्ट से उत्पन्न बिजली को आयोग अजमेर डिस्कॉम को बेचकर आय बढ़ा सकता है।
यह संस्थाएं सौर ऊर्जा से रोशन
क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, एडीए, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, सम्राट पृृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय, मयूर स्कूल, सोफिया कॉलेज, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (रीजनल कॉलेज) और अन्य।
सावधान हो जाइए जरा…..
-धरती के तापमान में हो रहा असंतुलन मौसस चक्र में बदलाव
-रोज बढ़ रहा है पर्यावरण प्रदूषण
-पिघलते जा रहे हैं ग्लेशियर
-बढ़ रही है पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता
-ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोत अपनाने की जरूरत