इंडियन सोलर मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि भारत में अभी सिर्फ 4000 मेगावाट सोलर पैन्लस और 13 हजार मॉड्यूल्स निर्माण की क्षमता है। निर्माण क्षमता का विस्तार नहीं किया गया तो सौर ऊर्जा के उपकरणों के लिए चीन पर निर्भर रहना होगा।

केंद्र सरकार ने जिस तेजी से रिनीवेबल इनर्जी (Renewable Energy) और खास तौर पर सौर ऊर्जा (Solar Energy) के विस्तार की महत्वाकांक्षी योजना का खाका तैयार किया है उससे इससे जुड़े उपकरणों के निर्माण में एक के बाद एक देश के दिग्गज कारपोरेट हाउस उतरने लगे हैं। सौर ऊर्जा (Solar Energy) में इस्तेमाल होने वाले सोलर पैनल्स (Solar Panels) और मॉड्यूल्स (Solar PV Modules) निर्माण में देश की तीन बड़े औद्योगिक घराने टाटा समूह (Tata Group), रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) और अदाणी समूह (Adani Group) के बीच मुकाबला होता दिख रहा है। टाटा समूह ने सोमवार को 4000 मेगावाट (4GW) क्षमता के सोलर सेल्स व मॉड्यूल्स के निर्माण में तीन हजार करोड़ (3,000 Cr.) रुपये के निवेश की घोषणा की है। जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज की आगामी वार्षिक आम सभा में बड़े ऐलान करने की तैयारी है। जबकि मंगलवार को अदाणी समूह की तरफ से बताया गया है कि सोलर पैनल बनाने की मौजूदा क्षमता को जुलाई-सितंबर, 2022-23 की तिमाही में 1500 मेगावाट (15GW) से बढ़ा कर 3500 मेगावाट (35GW) कर दिया जाएगा।

2030 तक भारत का लक्ष्य

केंद्र सरकार ने वर्ष 2030 तक देश में रिनीवेबल इनर्जी (Renewable Energy) से पांच लाख मेगावाट (5,00,000 MW) बिजली बनाने का लक्ष्य रखा है। इसकी घोषणा पीएम नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष ग्लास्गो में आयोजित कॉप-26 सम्मेलन में किया था। इसमें से 2.80 लाख मेगावाट बिजली सौर ऊर्जा (Solar Energy) से बनाई जाएगी। इस जरूरत को देख कर ही पिछले दिनों केंद्र सरकार की तरफ से सौर ऊर्जा में इस्तेमाल होने वाले सारे उपकरणों को देश के भीतर ही बनाने के लिए पीएलआइ स्कीम (PLI Scheme) की शुरुआत की गई है। आम बजट में इसके लिए 19,500 करोड़ रुपये आवंटित भी किया गया है।

कैसे बनेगा भारत आत्मनिर्भर?

इंडियन सोलर मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन (एसएमए) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि भारत में अभी सिर्फ 4000 मेगावाट सोलर पैन्लस और 13 हजार मॉड्यूल्स निर्माण की क्षमता है। अगर जरूरत के हिसाब से तेजी से घरेलू निर्माण क्षमता का विस्तार नहीं किया गया तो सौर ऊर्जा के उपकरणों के लिए चीन पर ही निर्भर रहना होगा। काउंसिल फॉर इनर्जी, इंवायरमेंट व वाटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक उक्त उपकरणों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा दे कर भारत में वर्ष 2030 तक 30 अरब डॉलर का एक नया कारोबार स्थापित किया जा सकता है। उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2024 से सौर ऊर्जा के लिए जरूरी उपकरणों का पर्याप्त उत्पादन होने की संभावना है।

केंद्र की पीएलआइ स्कीम के तहत टाटा, अदाणी और रिलायंस तीनों ही सोलर इनर्जी से जुड़े उपकरणों के निर्माण में उतर रही हैं। इन तीनों कंपनियों के अलावा 16 और कंपनियों ने पीएलआइ के तहत उपकरण बनाने की तैयारी दिखाई है। इनकी तरफ से अलग अलग जो योजनाएं सरकार को बताई हैं उससे इनके पास संयुक्त तौर पर 40 हजार मेगावाट क्षमता के लिए जरूरी उपकरणों का निर्माण किया जा सकता है। इनमें सबसे बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता अदाणी और रिलायंस की होने की संभावना है।

Source:www.jagran.com