न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे देश में हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे न केवल बिजली उत्पादन पूरा होगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जायेगा। मध्य प्रदेश में पिछले 8 सालों में हरित बिजली का उत्पादन 10 गुना अधिक हुआ है। मुख्य मंत्री शिवराज सिंह के मुताबिक हरित ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। वर्ष 2012 में सौर, पवन और बायोमास और लघु जल विद्युत ऊर्जा का उत्पादन 438 मेगवाट हुआ करता था, जो 2021 में बढ़कर 5500 मेगावाट हो चुका है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भविष्य ग्रीन ऊर्जा का है, क्योंकि ऊर्जा के पारंपरिक संसाधन निश्चित तौर पर धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे, जिसकी आहट अभी से सुनाई पड़ने लगी है, ऊर्जा उत्पादन में कोयला भंडारों का दोहन होने से आपूर्ति का संकट मंडराने लगा है। सूर्य से अक्षय ऊर्जा मिलती है। सूर्य, पवन और बायोमास से मिलने वाली ऊर्जा सस्ती होने के साथ पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक है।
प्रदेश में आगर-शाजापुर-नीमच में सौर पार्क योजना से 1500 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन का कार्य जोरों पर है। नीमच में 500, आगर में 550 और शाजापुर में 450 मेगावाट की परियोजना के लिए भूमि आवांटित की जा चुकी है। देश की नियुन्तः दर 2 रुपये 14 पैसे प्रति यूनिट की दर से ऊर्जा प्राप्त हुई है।
बताया गया है कि देश की सबसे बड़ी 600 मेगावॉट की फ्लोटिंग सौर परियोजना ओंकारेश्वर में स्थापित की जा रही है, जिसकी बिडिंग शीघ्र संभावित है। यह बहुउद्देशीय परियोजना पर्यटन, भूमि और जल संरक्षण के लिए काफी महत्वपूर्ण होगी। परियोजना से उत्पादित बिजली खंडवा में पॉवर ग्रिड के 400 किलोवॉट सब-स्टेशन के माध्यम से बाह्य ग्रिड से समायोजित की जाएगी। प्रदेश में 324 मेगावॉट क्षमता की 57 जल विद्युत परियोजनाओं के विकास का कार्य प्रगति पर है।