कृषि महत्व को देखते हुए आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने एमएनआरई और राज्य सरकार द्वारा लिए गए “घटक-सी के तहत फीडर स्तर के सौरकरण के दिशा-निर्देशों को जारी करने” के निर्णय को मंजूरी दी।

एमएनआरई ने राज्य सरकारों से परामर्श के बाद, पीएम-कुसुम योजना के तहत फीडर स्तर के सौरकरण के लिए दिशानिर्देश जारी किए। मंत्रालय ने 8 नवंबर 2019 को पहले विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे। इस योजना में, ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों को 30% की केंद्रीय और राज्य सब्सिडी और 40% के किसान योगदान के साथ सौरकरण किया जा सकता है। इसमें पंप क्षमता के 2 गुना तक की क्षमता वाले सौर प्रणाली को स्थापित करने की अनुमति है, इसमें उत्पन्न होने वाली अतिरिक्त बिजली DISCOM द्वारा खरीदी जाएगी।
DISCOM / बिजली विभाग को उनके संबंधित क्षेत्रों में कार्यान्वयन एजेंसी के तौर पर नियत किया जायेगा। उन्हें वितरण उप-स्टेशन (DSS) के पास भूमि क्षेत्र के स्वामित्व प्राप्त करने के लिए दिशानिर्देश दिए जायेंगे। सीएफए की गणना के लिए, सौर ऊर्जा प्रणाली की स्थापना की अनुमानित लागत 3.5Cr / MW है। इस योजना के तहत किसी भी क्षमता के सौरकरणीय पंप की अनुमति है, हालांकि, CFA 7.5Hp पंप के लिए सौर क्षमता तक सीमित होगा।दिशानिर्देशों के अनुसार DISCOM को सौर ऊर्जा उत्पादन और सौर ऊर्जा संयंत्र के प्रदर्शन की निगरानी ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से की जाएगी। CAPEX मॉडल और RESCO मॉडल के तहत कार्यान्वयन के बारे में अधिक जानने के लिए संलग्न दस्तावेज़ पढ़ें।
Source:- MNRE